निर्मल भारत अभियान अब ‘स्वच्छ भारत मिशन’
शौचालय निर्माण के लिए प्रोत्साहन राशि में बढ़ोत्तरी,
अब लाभार्थियों को मिलेंगे 12 हजार रुपये
डूंगरपुर, 12 अक्टूबर/संपूर्ण भारत में चलाया जा रहे निर्मल भारत अभियान का पुनर्गठन कर स्वच्छ भारत मिशन (ग्रा.) कर दिया गया है और इसके प्रभावी क्रियान्वयन के संबंध में महत्त्वपूर्ण दिशा निर्देश जारी किए गए हैं।
जिला कलक्टर इंद्रंजीत सिंह ने बताया कि अभियान का नामकरण स्वच्छ भारत मिशन करने के साथ ही व्यक्तिगत घरेलु शौचालय निर्माण की इकाई लागत को 10 हजार रुपये से बढ़ाकर 12 हजार रुपये कर दिया गया है। इसमें जल की उपलब्धता, पानी का संग्रहण, हाथ धोने एवं शौचालय की स्वच्छता की सुविधा के प्रावधान भी सम्मिलित है। उन्होंने बताया कि इसके अंतर्गत पानी के कनेक्शन की दशा में शौचालय की छत पर पानी की टंकी एवं नल कनेक्शन तथा कनेक्शन नहीं होने की दशा में पानी की टंकी एवं हाथ धोने के लिए पृथक् व्यवस्था टंकी के अतिरिक्त सुनिश्चित किया जाना आवश्यक होगा।
उन्होंने बताया कि इंदिरा आवास योजना के अंतर्गत घरेलु शौचालय निर्माण के लिए अलग से प्रावधान किया जाएगा । इसके अतिरिक्त व्यक्तिगत घरेलु शौचालय के निर्माण के लिए महात्मा गांधी नरेगा योजना से मिलने वाला प्रावधान समाप्त कर दिया गया है तथा शौचालय निर्माण के लिए दिया जाने वाला अंशदान स्वच्छ भारत मिशन द्वारा वहन किया जाएगा।
कलक्टर सिंह ने बताया कि पाठशालाओं में शौचालय निर्माण के लिए सर्वशिक्षा अभियान तथा आंगनवाड़ी में शौचालय निर्माण के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग उत्तरदायी रहेगा। उन्होंने संशोधित प्रावधानों के अनुरूप् अनुपालना सुनिश्चित करने के लिए समस्त संबंधित अधिकारियों को दिशा-निर्देश प्रदान किए हैं।
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डूंगरपुर से लांच होगा राज्य स्तरीय पायलट प्रोजेक्ट
यूनिसेफ के सहयोग से शैक्षिक गुणवत्ता की पहल
शिक्षाधिकारियों को मिलेगी कागजों से मुक्ति
डूंगरपुर, 12 अक्टूबर/विद्यालयों में शैक्षिक गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए ऑन साइट सपोर्ट व प्रभावी मॉनिटरिंग की दृष्टि से एक राज्य स्तरीय पायलट प्रोजेक्ट सोमवार को डूंगरपुर जिले से लांच किया जाएगा। यूनिसेफ के सहयोग से लागू हो रहे प्रोजेक्ट के तहत शिक्षाधिकारियों द्वारा ऑनसाईट टेबलेट का उपयोग करते हुए विद्यालय की आवश्यकताओं और समस्याओं के संबंध में डाटा एंट्री करते हुए समाधान सुझाया जाएगा।
दो ब्लॉकों में लागू होगा:
जिला कलक्टर इंद्रजीत सिंह ने बताया कि शैक्षिक गुणवत्ता के लिए अब तक यह अनुभूत किया जाता था कि विद्यालय की आवश्यकताओं और उनकी आपूर्ति में सूचनाओं के संकलन उचित तरीके से नहीं हो पाता था जिससे परेशानियां होती थी। अब शैक्षिक प्रौद्योगिकी के उपयोग से इस समस्या का समाधान इस प्रोजेक्ट में होगा। राज्य स्तर पर अपने तरह के इस पहले नवाचार को जिले के दो ब्लॉक आसपुर व सागवाड़ा में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में प्रारम्भ किया जा रहा है। इस नवाचार के तहत ब्लॉक के सभी विभागीय अधिकारी अपने विद्यालय अवलोकन के दौरान विद्यालय में उपलब्ध सुविधाओं तथा वहां के बच्चों की शैक्षणिक स्थिति की ऑनलाईन फिडिंग करेंगे। इसी प्रकार इससे शिक्षकों को आवश्यक तद्स्थलीय मार्गदर्शन प्रदान किये जाने में मदद मिलेगी और सरकार के गुणवत्तायुक्त शिक्षा के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकेगा।
कार्यशाला में भाग लेंगे शिक्षाधिकारी:
डाईट प्रधानाचार्य आभा मेहता ने बताया कि प्रोजेक्ट के संबंध में जिला शिक्षा प्रशिक्षण संस्थान द्वारा यूनिसेफ के सहयोग से शिक्षा अधिकारियों की एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा जिसमें जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय, एसएसए, डाइट के शिक्षा अधिकारी एवं ब्लॉक आसपुर व सागवाड़ा के बीईईओ, एबीईईओ व आरपी भाग लेंगे। कार्यशाला में यूनिसेफ के शिक्षा अधिकारी जितेन्द्र शर्मा, सीसीई राज्य सलाहकार साशाप्रियो एवं विक्रम श्रीवास्तव एमआईएस राजस्थान शिक्षा परिषद जयपुर द्वारा टेबलेट पीसी का उपयोग करते हुए ऑनलाईन मॉनिटरिंग प्रपत्र, डाटा एकत्रिकरण और विश्लेषण के लिए प्रशिक्षिण प्रदान किया जायेगा।
यूनिसेफ जिला सलाहकार बाल-मित्र विद्यालय चन्द्रशेखर दुबे ने बताया गया कि कार्यशाला में उपयोग किये जाने वाले समस्त टेबलेट पीसी मंे ऑनलाईन प्रपत्र एवं अन्य आवश्यक दस्तावेज अपलोड कर लिये गये है एवं प्रोजेक्ट को लांच करने की समस्त तैयारीयां पूर्ण कर ली गयी है।
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शर्मा/शर्मा/शर्मा
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